🚜 किसानों को खाद की दरकार, खेतों में बढ़ी चिंता – आखिर कब मिलेगी राहत?
🌾 खरसिया/जिला रिपोर्ट –खेती का मौसम ज़ोरों पर है, लेकिन अन्नदाता आज सबसे बड़ी मुसीबत से जूझ रहा है। धान बोने और खेत सँभालने के लिए सबसे ज़रूरी खाद (यूरिया, डीएपी, एनपीके) की भारी कमी से किसान परेशान हैं। खाद लेने के लिए किसान सुबह से ही सहकारी समितियों और सोसायटी के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन लंबी-लंबी कतारों और सीमित स्टॉक के कारण उन्हें मायूस लौटना पड़ रहा है।
👉 किसानों का कहना है कि अगर समय पर खाद नहीं मिला तो उनकी मेहनत और फसल दोनों पर संकट आ जाएगा।
👉 खेत इंतज़ार नहीं करता – बीज बोने और बढ़वार के सही समय पर खाद डालना बेहद ज़रूरी होता है।
👉 देरी का मतलब है कम पैदावार और नुकसान।
⚠️ किसानों की व्यथा
गाँव के एक किसान ने बताया – “हम रोज़ सुबह-सुबह लाइन में लगते हैं, लेकिन शाम तक भी नंबर नहीं आता। अधिकारी कहते हैं स्टॉक कम है, पर हमारा खेत इंतज़ार नहीं करेगा। फसल बर्बाद हो जाएगी तो घर कैसे चलेगा?”
वहीं एक किसान का कहना है – “खेती के मौसम में अगर खाद नहीं मिले तो किसान कहाँ जाएगा? हमने बीज बो दिए हैं, लेकिन खाद के बिना बढ़वार रुक जाएगी। सरकार कहती है सब ठीक है, मगर हकीकत में हमें तो खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।”एक और किसान ने गुस्सा जताते हुए कहा – “कुछ लोग अंदरखाने खाद का धंधा कर रहे हैं। खुले में कमी दिखती है और कालाबाज़ारी बढ़ रही है। प्रशासन को तुरंत कड़ा कदम उठाना चाहिए।”
⚠️ सवाल खड़ा होता है कि जब सरकार बार-बार पर्याप्त खाद उपलब्ध होने का दावा करती है तो फिर ज़मीनी हक़ीक़त में किसानों को खाद क्यों नहीं मिल पा रही?
💡 अब ज़रूरत है ठोस कार्रवाई की –
✔️ तत्काल पर्याप्त मात्रा में खाद की आपूर्ति की जाए।
✔️ वितरण व्यवस्था पर सख़्त निगरानी रखी जाए ताकि बिचौलिये और कालाबाज़ारी रोकी जा सके।
✔️ किसानों को भरोसा दिलाया जाए कि उनकी मेहनत और खेत संकट में नहीं पड़ेगा।
📢 यह सिर्फ़ खाद की कमी नहीं, यह अन्नदाता के भविष्य की कमी है। अगर आज किसानों की आवाज़ नहीं सुनी गई, तो कल अन्न का संकट पूरे समाज को झेलना पड़ेगा।


































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