“पुलिस जनता की नौकर नहीं, रक्षक है – सोच बदलने की जरूरत”
रायगढ़, 11 अगस्त 2025 —समाज में एक पुरानी लेकिन गलत धारणा लगातार जड़ें जमाए हुए है कि पुलिस जनता की “नौकर” है, जबकि हकीकत यह है कि पुलिसकर्मी कानून के रक्षक और जनता की सुरक्षा की ढाल हैं। हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक संदेश — “पुलिस जनता की नौकर नहीं, रक्षक है” — ने इस बहस को फिर से हवा दी है और लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है।—
📌 मानसिकता में बदलाव की जरूरत
भारत में आज भी कई लोग पुलिस को केवल आदेश मानने वाली संस्था के रूप में देखते हैं। यह मानसिकता न केवल गलत है, बल्कि पुलिस बल के मनोबल को भी कमजोर करती है। पुलिस विभाग कानून-व्यवस्था बनाए रखने, अपराध पर नियंत्रण और आम जनता की सुरक्षा के लिए चौबीसों घंटे काम करता है।चाहे त्योहार हो, राजनीतिक कार्यक्रम, प्राकृतिक आपदा या आपात स्थिति — पुलिसकर्मी सबसे पहले ड्यूटी पर पहुंचते हैं और सबसे अंत में घर लौटते हैं।—
📌 24 घंटे सेवा, लेकिन सम्मान कम
पुलिसकर्मी का जीवन आसान नहीं होता। उन्हें दिन-रात ड्यूटी निभानी होती है, कई बार बिना छुट्टी के लगातार कई दिनों तक काम करना पड़ता है। त्योहारों और छुट्टियों में जहां आम लोग परिवार के साथ समय बिताते हैं, वहीं पुलिस अपने परिवार से दूर रहकर दूसरों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।फिर भी, अक्सर उन्हें बेवजह आलोचना, गाली-गलौज और अपमान का सामना करना पड़ता है।—
📌 कानून और संविधान क्या कहते हैं?
भारतीय संविधान और पुलिस अधिनियम के तहत पुलिस का दायित्व जनता की रक्षा करना और कानून का पालन सुनिश्चित करना है। वे किसी व्यक्ति या समूह के व्यक्तिगत नौकर नहीं हैं, बल्कि राष्ट्र के सुरक्षा प्रहरी हैं।किसी भी लोकतांत्रिक समाज में पुलिस और जनता के बीच भरोसे का रिश्ता होना बेहद जरूरी है।—
📌 अधिकारियों की राय
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा —”हमारा काम लोगों की सेवा करना है, लेकिन सेवा का मतलब यह नहीं कि हम उनके नौकर हैं। हम कानून के तहत काम करते हैं और हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी समाज की सुरक्षा है। जनता अगर हमें सम्मान देगी, तो हम और बेहतर तरीके से काम कर पाएंगे।”—
📌 जनता की भी जिम्मेदारी
सुरक्षित समाज बनाने में केवल पुलिस ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि आम नागरिकों की भी बड़ी भूमिका है। पुलिस को सहयोग देना, अपराध की जानकारी तुरंत देना, और ट्रैफिक नियमों का पालन करना — ये सभी जिम्मेदारियां जनता की हैं।जब पुलिस और जनता एक टीम की तरह काम करेंगे, तभी अपराध कम होंगे और समाज में शांति स्थापित होगी।—
📌 उदाहरण जो सोच बदलते हैं
2024 में छत्तीसगढ़ के बस्तर में बाढ़ के दौरान पुलिसकर्मियों ने कई गांवों में फंसे लोगों को नाव और रस्सी के सहारे बचाया।खरसिया में हाल ही में राखी के त्योहार पर पुलिसकर्मियों ने रेलवे फाटक पर घंटों खड़े होकर भीड़ को संभाला, ताकि दुर्घटना न हो।कई मामलों में पुलिसकर्मी अपने पैसों से ज़रूरतमंद बच्चों की पढ़ाई और इलाज करवाते हैं।—
📌 निष्कर्ष
“पुलिस जनता की नौकर नहीं, रक्षक है” — यह केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक सच्चाई है जिसे हर नागरिक को समझना चाहिए।सम्मान, सहयोग और भरोसा — यही तीन स्तंभ पुलिस-जनता के रिश्ते को मजबूत बनाते हैं। अगर हम पुलिस को इज्जत देंगे, तो बदले में हमें भी सुरक्षा और विश्वास मिलेगा।-


































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