–छाल-खरसिया मार्ग बना दलदल, जनता त्रस्त – प्रशासन बेखबर
रायगढ़। जिले का छाल-खरसिया मार्ग आज बदहाली की जिंदा मिसाल बन चुका है। यह सड़क अब सड़क कम और दलदल ज्यादा नज़र आती है। भारी वाहन हर दूसरे दिन गड्ढों में धँस जाते हैं, छोटे वाहन जान हथेली पर रखकर गुजरते हैं और आम जनता रोज़ाना खतरों के बीच सफर करने को मजबूर है।गड्ढे ही गड्ढे, सड़क गायब बरसात के दिनों में हालात और बिगड़ गए हैं। सड़क पर जगह-जगह इतने गहरे गड्ढे हो गए हैं कि कई जगह तो सड़क दिखाई ही नहीं देती। कीचड़ और पानी ने इसे दलदल में बदल दिया है। तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि कैसे एक ट्रक गड्ढे में धँस गया और उसे निकालने के लिए जेसीबी मशीन लगानी पड़ी। यह कोई पहला वाकया नहीं है – आए दिन ऐसे नजारे इस मार्ग पर देखे जा सकते हैं।जनता की आवाज़ दबाई जाती है सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जब लोग इस मुद्दे पर आवाज उठाते हैं तो जिम्मेदारों को मिर्ची लग जाती है। जनता बार-बार गुहार लगाती है, धरना-प्रदर्शन करती है, लेकिन हर बार केवल आश्वासन मिलता है। नतीजा – हालात जस के तस।
सवाल ये उठता है कि आखिर क्यों जनता की तकलीफों पर मौन साधा गया है?
औद्योगिक परिवहन और रोज़गार पर असर यह मार्ग केवल ग्रामीणों का रास्ता नहीं, बल्कि उद्योगों की लाइफलाइन भी है। कोयला, लोहा, सीमेंट जैसे सामानों का परिवहन इसी सड़क से होता है। सड़क की खस्ता हालत के कारण परिवहन प्रभावित हो रहा है और रोज़गार से जुड़े लोगों की आमदनी पर सीधा असर पड़ रहा है।
जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से जनता का सवाल– क्या सड़क की मरम्मत के लिए किसी बड़े हादसे का इंतजार किया जा रहा है?– क्या जनता की परेशानी केवल चुनावी भाषणों तक ही सीमित है?– आखिर कब इस मार्ग की मरम्मत होगी और कब लोग राहत की सांस लेंगे?
जनता का सब्र टूट रहा है स्थानीय लोग साफ कह रहे हैं कि अब सब्र का बांध टूटने लगा है। “जब तक सड़क ठीक नहीं होती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।” यह संदेश अब साफ तौर पर जनता की जुबान पर है।
रायगढ़ जिले की जनता अब देख रही है कि प्रशासन और जनप्रतिनिधि इस पर क्या कदम उठाते हैं। क्या यह सड़क फिर से दुरुस्त होगी या यूँ ही दलदल में धँसती रहेगी – इसका जवाब आने वाला समय ही देगा




































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